महंगाई के इस दौर में खाने–पीने की चीज़ों से लेकर यातायात भी महंगा हो गया है। ईंधन की कीमतों में हो रही लगातार वृद्धि के बाद, अनुमान लगाया जा रहा है कि इस साल खाना पकाने और परिवहन के लिए उपयोग की जाने वाली गैस की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिससे भारत में उपभोक्ताओं को सीएनजी और पीएनजी की बढ़ी हुई दरों का सामना करना पड़ेगा।
ICICI Securities द्वारा किए गए गैस बाजार के आंकलन के मुताबिक, गैस वायदा बाजार में कीमतें वित्तिय वर्ष 23 की पहली छमाही में यूएस 4.1 डॉलर प्रति MMBtu से यूएस 7.35 डॉलर/ MMBtu अन्य यूएस 3.6 डॉलर/ MMBtu (49 प्रतिशत) से यूएस 10.95 डॉलर/ MMBtu तक बढ़ने का अनुमान है।
इसका मतलब यह होगा कि सीएनजी, पीएनजी की आपूर्ति करने वाली तीन प्रमुख कंपनियों – ग्रीन गैस लिमिटेड (GGL), महानगर गैस लिमिटेड (MGL), इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड (IGL) को अप्रैल से अक्टूबर, 2022 में सीएनजी की कीमतों में 50-56 फीसदी की बढ़ोतरी करनी होगी। अपने मार्जिन को ऊंचे स्तर पर बनाए रखने के लिए एपीएम (APM) गैस की कीमतों में वृद्धि पर ध्यान दे रहा है।
वित्तीय वर्ष 17-22 में एपीएम (APM) गैस की कीमत 2.3-3.8 यूएस डॉलर प्रति MMBtu थी। वित्त वर्ष 22 की पहली छमाही में 2 यूएस डॉलर प्रति MMBtu से नीचे थी। यह वित्त वर्ष 22 की छमाही में 1.22 यूएस डॉलर प्रति MMBtu (62 प्रतिशत) बढ़कर 3.22 यूएस डॉलर प्रति MMBtu हो गया।
दिलचस्प बात यह है कि सीएनजी, पीएनजी बाजारों में गैस आपूर्तिकतार्ओं ने अपर्याप्तता के दौरान पाइप्ड प्राकृतिक गैस (PNG), संपीड़ित प्राकृतिक गैस (CNG) की कीमतों में संशोधन न करने के कारण महामारी की अवधि में उच्च मार्जिन बनाया है। लॉकडाउन के कारण जब मांग वैश्विक स्तर पर जब गैस की कीमतें गिर गई थीं।
वास्तव में, सीजीडी मार्जिन वित्त वर्ष 2014 से 44-130 प्रतिशत, दिसंबर 2019 से 21-84 प्रतिशत से ऊपर है क्योंकि गैस की लागत में गिरावट को पारित नहीं किया गया है।
ब्रोकरेज रिपोर्ट में कहा गया है कि दिसंबर 2019 के बाद से सीडीजी पूरी तरह से गिरावट से नहीं गुजरे हैं। मार्जिन को बढ़ावा देने के लिए अवसरों पर कीमतों में बढ़ोतरी की गई है।
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