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इस बहादुर सैनिक ने नहीं झुकने दिया हरियाणा का सिर, साथियों की जान बचाकर खुद हुआ शहीद

भारत में आतंकियों को रोकने और दूसरे देशों से बचाने के लिए हमारे जवान दिन रात बॉर्डर पर तैनात रहते हैं। वह देश के लिए और अपने साथियों की जान बचाने के लिए अपने जान की बाजी भी लगा देते हैं। भारत के जवान चौबीसों घंटा बार्डर पर रहकर भारत की रक्षा करते हैं। भारतीय सेना की खास बात तो यह है कि वे कभी भी अपने फर्ज़ से पीछे नहीं हटते, हमेशा अडिग रहते हैं। आज भी ऐसे कई जाबाजों के नाम इतिहास में दर्ज हैं जिन्होंने अपनी आखिरी सांस तक भारत और अपने साथियों की रक्षा की है। इन्हीं शहीदों में अब एक और नाम जुड़ चुका है और ये नाम है हरियाणा के रहने वाले हवलदार असवीर सिंह का।

भारत के जांबाज असवीर सिंह ने अपनी अंतिम सांस तक अपना फर्ज निभाया और नौ साथियों की जान बचाते हुए खुद मौत को गले लगा लिया। आज हर कोई उनकी इस जिंदादिली की तारीफ कर रहा है।

हरियाणा के जींद जिले के सुदकैन कलां गांव के रहने वाले असवीर सिंह हाल ही में शहादत को प्राप्त हुए हैं। जाते-जाते इन्होंने जो कारनामा किया वह इतिहास में हमेशा के लिए सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो चुका है। फिलहाल उनका परिवार सुभाष नगर में रहता है। अंतिम संस्कार के लिए उनका पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव भी ले जाया गया।

अपने नौ साथियों की जान बचाने के लिए उन्होंने अपनी जान को दांव पर लगा दिया था। सिक्किम में जब वे अपनी टीम के साथ भारत-चीन सीमा के पास पेट्रोलिंग कर रहे थे तो उनकी गाड़ी खाई में गिर गई।

कैसे हुआ हादसा?

उनके चाचा राधा कृष्ण ने बताया कि असवीर अपने साथियों के साथ सिक्किम में पेट्रोलिंग कर रहे थे। गाड़ी को चलाने वाला शख्स नौसिखिया था और वह गाड़ी को आगे नहीं ले जा पा रहा था क्योंकि रास्ता बहुत ज्यादा संकरा था। इसके बाद असवीर ने गाड़ी की कमान अपने हाथ में ली।

वह अपने साथियों को किसी भी तरह से मुश्किल में नहीं डालना चाहते थे। इसलिए असवीर ने अपने साथियों को गाड़ी से नीचे उतार दिया और उन्हें पैदल आने के लिए कहा। ऐसे में असवीर ने जैसे ही गाड़ी आगे बढ़ाई उसी समय गाड़ी खाई में गिर गई। असवीर के सिर में गहरी चोट आई थी जिसके कारण उन्होंने दुनिया को अलविदाकहना पड़ा।

इकलौते चिराग थे असवीर

जब यह खबर उनके घर पहुंची तो घर और गांव में शोक का माहौल छा गया। सबसे पहले असवीर के पार्थिव शरीर को उनके सुभाष नगर वाले घर पर लाया गया और उसके बाद अंतिम संस्कार के लिए उनके पैतृक गांव ले जाया गया। असवीर दो बेटे और एक बेटी के पिता भी हैं। उनके बच्चे भी अभी छोटे हैं।

मां को गर्व है अपने बेटे पर

असवीर के शहीद होने की खबर जब उनकी मां तक पहुंची तो वे टूट गई लेकिन अपने बेटे की अंतिम यात्रा में शामिल हुई। इतना ही नहीं असवीर की माँ ने अंतिम यात्रा में “असवीर सिंह अमर रहे” के नारे भी लगाए। आज असवीर की मां को भी अपने बेटे पर गर्व है जो देश की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त हुआ। असवीर की मां ने कहा कि वे अपने पोता-पोती को भी भारत कि रक्षा के लिए प्रेरित करेंगी।

पुष्प चक्र के साथ दी श्रद्धांजलि

असवीर के पिता का कहना है कि आज उनके बेटे ने उनका सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है। अंतिम संस्कार के दौरान सेना की टुकड़ी ने असवीर के सम्मान में तीन राउंड फायरिंग भी की। नरवाना के कई उच्च अधिकारी भी मौजूद थे। उन्होंने असवीर को पुष्प चक्र के साथ विनम्र श्रद्धांजलि दी।

Rajni Thakur

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