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IGI एयरपोर्ट पर स्थित यह मजारें ही करती हैं हवाई अड्डे की रक्षा, जानें क्या है सच्चाई?

मजहबी कारनामे सिर्फ गलियों में कॉलोनियों में ही नहीं होते बल्कि यह तो अब अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे तक भी पहुंच चुके हैं। बता दें कि दिल्ली का इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट भी इससे अछूता नहीं है। कई सालों से यहां पर दो मजार हैं। आने-जाने वाले यात्री हो या कोई और हर कोई इसे देखकर हैरान होता है कि एयरपोर्ट पर यह मजार कैसे स्थित हो सकता है। आईजीआई एयरपोर्ट दुनिया के सबसे व्यस्त एयरपोर्ट में से एक माना जाता है। बता दें कि यहीं पर एक दरगाह है तो वहीं दूसरी तरफ रनवे के पास स्थित है। आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से इस दरगाह से जुड़ी कुछ बातें बताएंगे। साथ ही सरकारी संपत्ति में स्थित इन मजारों पर लोगों के क्या रिएक्शन है यह भी बताएंगे।

यह मजार या दरगाह एयरपोर्ट के अंदर कब और कैसे बनी इसके बारे में कोई नहीं जानता यह अपने आप में एक रहस्य है लेकिन इसको लेकर लोगों के बीच में काफी गुस्सा है क्योंकि सरकारी संपत्ति के अंदर मुस्लिम फकीरों की मजार लोगों को रास नहीं आ रही।

एयरपोर्ट के कर्मचारियों का कहना है कि कि यह मजार यहां लंबे समय से है टर्मिनल 2 के पास स्थित मजार पर लोगों को नमाज करने के लिए भी अनुमति है हवाई अड्डे में 10/28 के पास वाले टर्मिनल से यह मजार साफ-साफ दिखाई देती है।

इस मजार के लिए एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया कार्गो कंपलेक्स टी2 से दोपहर 2:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक मुफ्त सेवाएं भी देता है। जुम्मे की रात यहां बहुत से लोग नमाज करते हैं। यह मजार रनवे के काफी करीब है।

जानकारी के अनुसार दरगाह पर फूल अगरबत्ती चादर और दूसरी चीजें एयरपोर्ट पर ही कस्टम हाउस के बाहर बेचा जाता है उस समय सुरक्षा बहुत ही कमजोर होती है इसी वजह से कोई भी वहां अंदर चला जाता है।

इसके अलावा ऐसी अफवाहें भी सामने आती है कि यह मजार दो सूफी फकीरों बड़े बाबा (बाबा काले खान) और छोटे बाबा (बाबा रोशन खान) की है। यहां आने से पहले लोगों की सिक्योरिटी चेकिंग भी होती है। ताकि कोई भी व्यक्ति इसकी फोटो ना ले सके।

मजार की देखभाल करने वालों को कहना है कि एयरपोर्ट के सुचारु संचालन को यह दोनों फकीरी सुरक्षित रखते हैं। इसको लेकर एक रिपोर्ट भी सामने आई है जिसमें दावा किया गया है कि एयरपोर्ट के कर्मचारी इन अलोकिक मिथकों में विश्वास भी करते हैं। यहां तक कि यह भी दावा किया जाता है कि इस मजार की तो इसे सन् 1860 की तो वहीं पीर बाबा दरगाह को और भी ज्यादा पुराना माना जाता है।

एयरपोर्ट के कर्मचारियों ने तो यह तक कहा कि कई सारी दुर्घटनाओं को इन दरगाह होने रोका है वही सतीश नाम के एक व्यक्ति का हवाला देते हुए उन्होंने कहा की लैंडिंग के वक्त एक प्लेट की इंजन में आग लग गई और जैसे ही फ्लाइट दरगाह के पास पहुंची तो चमत्कार हो गया और आग बुझ गई इससे फ्लाइट को कंट्रोल कर लिया गया हालांकि फ्लाइट के बारे में कोई जानकारी नहीं है।

इस इंटरनेशनल एयरपोर्ट में सुरक्षा के दृष्टि से खतरा होने के बावजूद दर्शकों से यहां यह मजार ए चल रही है और मानयता है कि मृत फिर बाबा की शक्ति के कारण ही दरगाह स्थान पर बनी है।

यहां हर साल भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण और अन्य एयरलाइंस के द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भव्य आयोजन किया जाता है। इसका रखरखाव बाबा की समिति नाम से एक समिति करती है और यह दान के पैसों से चलती है।

Rajni Thakur

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