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हिमालय से कचरा साफ करने के मिशन पर निकला हरियाणा का लाल, पीएम मोदी भी हैं प्रदीप सांगवान के मुरीद

हरियाणा के प्रदीप सांगवान हिमालय पर पर्यटकों द्वारा छोड़े गए कचरे को साफ करने के मिशन पर निकले हैं। इस उद्देश्य से प्रदीप ने छह साल पहले ‘हीलिंग हिमालय फाउंडेशन’ नामक संस्था की स्थापना की थी। प्रदीप के फाउंडेशन ने इस मिशन के लिए हिमाचल प्रदेश में पांच सामग्री संग्रह केंद्रों की स्थापना की है।



हरियाणा के गुरुग्राम के रहने वाले 37 वर्षीय सांगवान कहते हैं कि हम सभी पांच केंद्रों में दैनिक आधार पर लगभग 1.5 टन गैर-जैविक कचरा एकत्र करते हैं, जो लैंडफिल या खुली हवा में जला दिया जाता है।” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिसंबर 2020 में अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में प्रदीप की प्रशंसा की थी।

प्रदीप ने समझाया काम करने का तरीका



प्रदीप सांगवान का कहना है कि उनके फाउंडेशन की परियोजनाएं प्रमुख रूप से ग्रामीण हिमालयी क्षेत्र में सफाई अभियान, अपशिष्ट प्रबंधन और अन्य गतिविधियों पर केंद्रित हैं। इन परियोजनाओं का संचालन स्वैच्छिक दान से प्राप्त धनराशि से किया जाता है। हर साल दिसंबर में प्रदीप सांगवान अगले वर्ष के लिए एक कैलेंडर तैयार करते हैं और फाउंडेशन में काम करने वाले वॉलंटियर्स अपनी यात्राओं की उसी के अनुसार योजना बनाते हैं।



प्रदीप कहते हैं, ”एक पर्वतारोहण अभियान के लिए ऊपर जाते समय, हम सारा कचरा इकट्ठा करते हैं। मुख्य रूप से हमें प्लास्टिक की बोतलें, मल्टीलेयर पैकेजिंग प्लास्टिक कचरा मिलता है और फिर हम इसे मार्ग पर एक स्थान पर संग्रहित करते हैं। वापस आते समय, हम इसे गांव में वापस लाते हैं और इसे निकटतम सुविधा केंद्र तक पहुंचाते हैं।

कॉलेज के दिनों से आया था पर्यावरण संरक्षण का ख्याल



सांगवान का कहना है कि चंडीगढ़ के डीएवी कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई के दौरान वह हिमाचल प्रदेश के कुछ छात्रों के संपर्क में आए, जिनके साथ उन्होंने 2007-08 में राज्य में घूमना शुरू किया। 2009 में राज्य में आने के बाद, उन्होंने काफी यात्राएं कीं और इस दौरान उन्होंने लाहौल में ‘गद्दी’ (चरवाहा) समुदाय के लोगों के एक समूह से मुलाकात की। वे इस बात से प्रभावित थे कि कैसे अत्यंत दूर-दराज के इलाके में भी वे लोग अपने पर्यावरण का संरक्षण कर रहे थे।

उनकी फाउंडेशन ने दो साल पहले कुल्लू जिले के छितकुल के पास रकछम में अपना पहला कचरा संग्रह और छंटाई केंद्र स्थापित किया। इसके बाद मंसारी (कुल्लू), पूह (किन्नौर), ताबो (स्पीति) और नारकंडा (शिमला) में अन्य चार केंद्र स्थापित किए गए। रकछम केंद्र छितकुल के करीब है, जिसे अंतरराष्ट्रीय सीमा पर भारत के अंतिम गांव के रूप में जाना जाता है।



पर्यटकों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करना है लक्ष्य



सांगवान का कहना है कि वे अक्सर ऐसे लोगों से मिलते हैं जो बीयर और अन्य कांच की बोतलों को लापरवाही से फेंक देते हैं। इस प्रकार का कचरा कभी-कभी मवेशियों के खुरों में फंस जाने से वे घायल हो जाते हैं। उनका कहना है कि इस साल हीलिंग हिमालय फाउंडेशन के वॉलंटियर्स ने मणिमहेश यात्रा के दौरान ठोस कचरा प्रबंधन की बढ़ती समस्या की दिशा में एक छोटा सा कदम उठाया और 3.5 टन बेकार सामग्री को वापस लाकर चंबा नगर निगम को सौंपा।

सांगवान कहते हैं कि इसके साथ, हमारा लक्ष्य पर्यटकों को ‘एक उद्देश्य के साथ यात्रा’ करने के लिए संवेदनशील बनाना और प्राकृतिक परिवेश पर उनके कार्यों के प्रभाव के प्रति उन्हें अधिक जागरूक करना है।

Anila Bansal

I am the captain of this ship. From a serene sunset in Aravali to a loud noisy road in mega markets, I've seen it all. If someone asks me about Haryana I say "it's more than a city". I have a vision for my city "my Haryana" and I want people to cherish what Haryana got. From a sprouting talent to a voice unheard I believe in giving opportunities and that I believe makes a leader of par excellence.

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