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ये है हरियाणा का सबसे पुराना मंदिर, यहाँ भगवान श्री राम के पूर्वजो ने भी किया था तप

भारत देश सनातन धर्म में आस्था रखने वाले लोगो का देश है. यहाँ आप जहा भी जिस राज्य में चले जाओ आपको हिन्दुओ के आस्था स्थल जरूर दिख जायेंगे. ऐसे ही भारत के राज्य हरियाणा में भी ऐसे बहुत से आस्था के स्थल है. यहां हुआ महाभारत का युद्ध तो आप सबको याद ही होगा. महाभारत का युद्ध कोरवो और पांडवो के बीच युद्ध हुआ था और पांडव विजय हुए थे. पर आज हम आपको हरियाणा के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे है जहा पर श्री राम भगवन के पूर्वजो ने तप किया था. तो चलिए जानते है कोन सी है वह जगह.

कनीना- चरखी दादरी मार्ग से 15 किमी दूरी पर स्थित है यह धाम


बता दे कि हम जिस धाम की बात कर रहे है वो धाम हरियाणा राज्य के महेंद्रगढ़ जिले के अंतर्गत आता है. यह धाम कनीना- चरखी दादरी मार्ग से लगभग 15 KM दूर स्थित बाघोत गांव में है. गांव के मुख्य मार्ग पर ही यहाँ एक शिवालय स्थित है. यहाँ पर दूर- दूर से लाखों भक्त दर्शनार्थ के लिए आते है. बताया जाता है कि मंदिर और शिवलिंग का यहाँ पौराणिक इतिहास है. यह मंदिर बहुत से राज़ अपने अंदर समेटे हुए है. यहाँ हर साल महाशिवरात्रि पर भव्य मेला भी लगता है.

बाघोत धाम का इतिहास



बता दे कि महेंद्रगढ़ जिले के बाघोत गांव का यह मंदिर तक़रीबन 1680 साल पुराना है. यहां शिवालय के पास में खड़े कदंब के पेड़, तालाब एवं स्वयंभू शिवलिंग ऋषि मुनियों की तप स्थल होने की याद दिलाते हैं. बताया जाता है कि भगवान श्री राम के पूर्वजों ने यहां तप किया था. यहाँ हर वर्ष दो बार मेला लगता है. उस समय के राजा रहे दलीप को शिव भगवान ने बाघ के रूप में दर्शन दिए थे, जिसके चलते गांव का मंदिर बाघेश्वरी धाम के नाम से जाना जाता है. यहां शिवालय का निर्माण कणाणा के राजा कल्याण ¨सह रैबारी ने करवाया था.

साल में लगता है 2 बार मेला



बता दे कि बाघोत गांव में सिथित बाघेश्वरी धाम पर हर साल 2 बार मेले का आयोजन किया जाता है. यहाँ एक महाशिवरात्रि तथा दूसरा सावन के माह में मेला लगता है. बताया जाता है कि कणाणा के महाराज कल्याण ¨सह रैबारी द्वारा निर्मित शिवालय पर ऊंटों की लाइन 1990 के दशक तक बनी हुई थी, किन्तु बाद में इस शिवालय का जीर्णोद्धार हुआ तो उस पर ऊंटों की लाइन के चित्र नहीं बन सके. ऊंटों की लाइन की तस्वीर बनाने के पीछे महाराजा के ऊंटों के सोने चांदी को लूटने की घटना एवं शिव शंकर के दर्शन के बाद पुन: प्राप्ति की याद को ताजा करते हैं

कैसे करे दर्शन



बता दे कि अगर आप भी Bagheshwari Dham पर जलाभिषेक करना चाहते हैं तो बाघेश्वरी धाम आते ही भक्तो को पूर्व दिशा में मंदिर से करीब 200 गज दूरी पर लाइन में खड़ा होना होता है. लाइन दक्षिण को मुड़कर पश्चिम की ओर जाने पर शिवलिंग के दर्शन होते हैं. बाघेश्वरी धाम पर जाते वक़्त भक्तजन अपने साध गंगाजल, पेठा, बेलपत्र के पते, नारियल, केला, फल और फूल अपने साथ ले जाते हैं. महाशिवरात्रि के दिन फाल्गुन माह की कृष्ण त्रयोदशी को यहां बड़ा मेला लगता है

Anila Bansal

I am the captain of this ship. From a serene sunset in Aravali to a loud noisy road in mega markets, I've seen it all. If someone asks me about Haryana I say "it's more than a city". I have a vision for my city "my Haryana" and I want people to cherish what Haryana got. From a sprouting talent to a voice unheard I believe in giving opportunities and that I believe makes a leader of par excellence.

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