विद्यार्थियों का जीवन सबसे कठिन होता है, क्योंकि एक विद्यार्थी का जीवन उसके भविष्य से जुड़ा होता है. विद्यार्थियों पर भारी भरकम पाठ्य सामग्री का बोझ डालकर उनके कुछ अलग करने के सपनों को भी बोझ से दबा दिया जाता है. कई विद्यार्थी ऐसे है जो पढ़ाई के साथ- साथ खेल- कूद व अन्य चीजों में अपना करियर बनाना चाहते है. ऐसे में हरियाणा के निजी स्कूलों में विद्यार्थियों पर से इस बोझ को कम करने का फैसला लिया गया है. दरहसल, इस मुद्दे पर तब सोचा गया जब 5 सितंबर को कलायत के गांव बालू स्थित विद्या निकेतन वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में बच्चों का शिक्षा के नाम पर शोषण हो रहा था. इस मुद्दे को राष्ट्रीय मानव अधिकार और अपराध नियंत्रण ब्यूरो जिला अध्यक्ष महेंद्र धानिया के सामने उठाया गया था.
शिक्षा के नाम पर हो रहे शोषण को देखते हुए स्कूल के शिक्षक सतनारायण ने राष्ट्रीय मानव अधिकार और अपराध नियंत्रण ब्यूरो को पत्र लिखा था. इस पत्र को पढ़ने के बाद इस पर कार्यवाही करने का फैसला लिया गया था. ब्यूरो के स्टेट प्रेजिडेंट ने हरियाणा के सचिव को पत्र लिखा और उसमें कहा कि बच्चों के होमवर्क, समय, अनुशासन, के साथ- साथ स्कूलों की शिक्षा प्रणाली पर दोबारा से विचार किया जाए.
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