बरसात के चार दिन बाद भी गांव करौंथा की गलियों और शिमली के खेतों में अभी भी पानी जमा है। आलम यह है कि खेतों में किसानों को आवागमन करने में परेशानियां हो रही है तो गांवों घरों से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। अभियान के तहत दैनिक जागरण की टीम ने वीरवार को करौंथा व शिमली गांव पहंची। पड़ताल के दौरान ग्रामीणों का दर्द छलका। करौंथा के ग्रामीणों ने बताया कि बरसाती पानी से एक ओर जहां गांव की कुछ गलियों में अब भी जलभराव है वहीं खेतों में फसलें भी डूबी हैं। गलियों में पानी खड़ा रहने की बात की जाए तो केवल करौंथा गांव में अभी तक यह समस्या बनी हुई है।
शिमली गांव में धान की फसल बुरी तरह प्रभावित हो रही है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर समय रहते इन गांवों से बरसाती पानी की निकासी नहीं की गई तो फसलें बर्बाद हो सकती है। घरों के बाहर जलभराव होने से बच्चों का खेलना भी बंद हो गया है। ग्रामीणों का कहना है कि अधिकारियों की ओर से गांव की सुध नहीं ली जा रही है। घरों के बाहर पिछले एक सप्ताह से जलभराव बना हुआ है। इसकी निकासी न होने से बीमारी फैलने की आशंका बनी हुई है। ग्रामीणों ने कहा कि अगर फिर से बरसात हुई तो मुश्किलें और बढ़ सकती हैं।
गांव में खाली प्लाटों व पंचायती जमीन पर जलभराव बना हुआ है। अधिकारियों को इसकी जानकारी दी गई है लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। गलियों व घरों में जमा पानी को अपने स्तर पर ही बाहर निकाला गया है। पंचायत व प्रशासन से कोई मदद नहीं मिली है। जलभराव से फर्श व दिवारों में दरारें भी आ गई हैं।
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