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हरियाणा में मां दुर्गा के 5 बेहद रहस्‍यमयी मंदिर, नवरात्र में लगी रहती है श्रद्धालुओं की भीड़, जानिए इनके बारे में

Navratri का पावन त्योहार चल रहा है, इन दिनों लोग माता के नौ रूपों की पूजा अर्चना करते हैं. आज नवरात्रि का छठा दिन है, इस दिन माता दुर्गा के कात्यायनी रूप की पूजा की जाती है. प्रदेश में माता कई प्रसिद्ध मंदिर भी है, इन मंदिरो मे दूर- दूर से श्रद्धालु पूजा अर्चना के लिए आते हैं, जिस वजह से पूरे नवरात्रे मंदिरों में भक्तों की भीड़ लगी रहती है. जानिए पांच ऐसे रहस्यमयी मंदिरों बारे में जिनकी आज भी है विशेष मान्यता.

कुरुक्षेत्र का प्रसिद्ध श्री देवीकूप भद्रकाली मंदिर


प्राचीन शास्त्रों के अनुसार मान्यता है कि भगवान शिव की निंदा सुन देवी भगवती सती हो गई थी, तों भगवान शिव ने दुखी होकर देवी के पवित्र मृत शरीर को उठाकर पूरे ब्रह्मांड के चककर लगाने लगे. विष्णु भगवान ने भगवान शिव की हालत को देखकर अपने सुदर्शन चक्र से मां भगवती के मृत शरीर को 52 भागो में बांट दिया. ये 52 भाग जहां जहां गिरें वहां वहां शक्तिमट्ठ का निर्माण हुआ. तब मां सती का दाहिना घुटना कुरुक्षेत्र में गिरा, तब से लेकर यह शक्तिपीठ श्री देवीकूप भद्रकाली मंदिर के रूप में प्रसिद्ध हो गया.

जींद मे स्थित जयंती देवी मंदिर


जयंती देवी मंदिर जींद जिले में स्थित है और जयंती देवी के नाम पर ही जींद जिले का नाम पड़ा था. प्राचीन मान्यता के अनुसार समुंद्र मंथन के समय देव सेनापति जन्नत ने दानवो से कलश लेने के लिए पूजा की थी, और मां से विजय का आशीर्वाद मांगा था, और मां के आशीर्वाद से वह युद्ध मे विजय हुआ और देवताओं के पास अमृत कलश पहुंचाया. तब से लेकर आज भी यह मंदिर बड़ी श्रद्धा और विश्वास के साथ पूजा जाता है.

कैथल का मनकामेश्वर मंदिर


यह मंदिर महाभारतकालीन है, और इस मंदिर की स्थापना राजा युधिष्ठिर ने की थी. पाकिस्तान के मुल्तान शहर के एक व्यक्ति को स्वपन में कालका मां ने दर्शन दिए थे, उस व्यक्ति ने यहां पर माता काली की पूजा अर्चना की. आज यहां पर माता काली और माता शीतला देवी का भी मंदिर स्थित है. इस मंदिर में नवविवाहित दूल्हा दुल्हन एक साथ मन्नत मांगते हैं, और पूजा अर्चना करते हैं.

पानीपत का शीतला माता मंदिर


यह मंदिर पानीपत से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर पाथरी गांव मे स्थित है. शीतला माता को धुतनी के नाम से भी जाना जाता है. इस स्थान पर नवविवाहित जोड़े माता का आशीर्वाद लेने पहुंचते हैं. इसके अलावा बच्चे के जन्म के उपरांत पहली बार बालों का मुंडन ही करवाया जाता है. इस स्थान पर नवरात्रों में काफी भीड़भाड़ रहती है.

अंबाला का झावरिया मंदिर


यह मंदिर हरियाणा के अंबाला जिले में स्थित है. इस स्थान पर बाबा फुल्लू जंगल में भूलवाल से शाहपुर वाली कच्ची सड़क के किनारे एक कुटिया में तपस्या कर रहे थे, 1 दिन कुटिया के पास एक कुआं खोदते समय एक खून की धारा निकली इसमें से आवाज आई कि बाबा फुल्लू को बुलाओ. कुल्लू के आते ही महाकाली मां कन्या के रूप में प्रकट हुई. तब फुल्लू उसे कुटिया में ले गए और मां चौकड़ी लगाकर कुटिया में बैठ गई और बोली ‘हे भगत’ डरो मत मैं सिलपत्थर हो जाऊंगी मेरी सेवा करते रहना हरे भरे रहोगे. तब से लेकर आज तक इस मंदिर की काफी मान्यता है और लोग बड़ी संख्या में मां के दर्शन के लिए पहुंचते हैं

Avinash Kumar Singh

A writer by passion | Journalist by profession Loves to explore new things and travel. I Book Lover, Passionate about my work, in love with my family, and dedicated to spreading light.

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