हरियाणा में परचून की दुकान चलाने वाले दुकानदार का बेटा बना जज, यहां जानें उनकी सफलता की कहानी उनकी ही ज़ुबानी

आपने अपनी जिंदगी में अक्सर सुना होगा कि मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती, जो लोग कुछ पाने के लिए मेहनत करते हैं वो अपने कड़े परिश्रम से वह पा ही लेते हैं। ठीक वैसे ही जैसे जतिन मित्तल ने अपने कड़े परिश्रम से जज की कुर्सी हासिल की है।

हरियाणा के हिसार जिले के आदमपुर में रहने वाले जतिन मित्तल का चयन उत्तराखंड में सिविल जज कम ज्यूडिशियल मजिस्टेट के रूप में हुआ है। बता दें कि जतिन मित्तल के पिता एक दुकानदार हैं, उनकी आदमपुर मंडी में एक दुकान हैं। वह पहले ऐसे बच्चें हैं जिन्होंने महज 26 साल की उम्र में ही सिविल जज कम ज्यूडिशियल मजिस्टे्रट की कुर्सी हासिल की है।

इतनी छोटी सी उम्र में इतना बड़ा मुकाब हासिल करके न सिर्फ़ उन्होंने अपने गांव का बल्कि अपने प्रदेश का भी नाम रोशन किया है। उनकी इस उपलब्धि पर उनका पूरा परिवार बहुत खुश हैं। इसके अलावा उनके गांव में भी खुशी का माहौल बना हुआ हैं।अपनी सफलता और मेहनत की कहानी सुनाते हुए जतिन मित्तल ने बताया कि,” जज बनने का सपना तो उनके बड़े भाई नीतीश मित्तल का था, लेकिन घर की कुछ आर्थिक तंगी के कारण वह अपना ये सपना पूरा नहीं कर पाएं। जिसके बाद उन्होंने दिल्ली कोर्ट में वकालत शुरू कर दी।”

इसी के साथ उन्होंने बताया कि,”उनके बड़े भाई ने उन्हें अपनी कमाई भेजकर पढ़ने के लिए प्रेरित किया और लगातार उन्हें जज बनने के लिए बोलते रहे। जब उनकी कॉलेज की छुट्टियां पड़ी तो वे अपने मुसेरे भाई न्यायाधीश अजय गर्ग के पास गए, जहां पर उन्होंने कोर्ट कार्यवाही के बारे में पूछा और वहीं से जज बनने का फैसला लिया।”

जानकारी के लिए बता दें कि जतिन ने अक्टूबर 2020 में L.L.B की परीक्षा में हिसार छाजूराम ला कालेज से टॉप किया है। उन्होंने लाकडाउन के दौरान ही जज बनने की तैयारी अपने घर से शुरू की। उन्होंने आनलाइन कोचिंग, यू-ट्यूब व इंटरनेट की मदद से खुद को जज बनने के लिए तैयार किया। जिसके बाद उन्होंने अपने पहले ही प्रयास में एमपी ज्यूडिशियल सर्विस 2021-22 का इंटरव्यू दिया और बाद में 2021-22 उत्तराखंड ज्यूडिशियल सर्विस का एग्जाम दिया। जिसमें उन्होंने उत्तराखंड ज्यूडिशियरी में 9वीं रैंक हासिल की।

हम कह सकते हैं आज उनकी इस उपलब्धि के पीछे उनके बड़े भाई नीतीश का हाथ है, जिन्होंने अपने सपने को बीच में छोड़कर अपने भाई को सिविल जज कम ज्यूडिशियल मजिस्टे्रट बनाया है।

Anila Bansal

I am the captain of this ship. From a serene sunset in Aravali to a loud noisy road in mega markets, I've seen it all. If someone asks me about Haryana I say "it's more than a city". I have a vision for my city "my Haryana" and I want people to cherish what Haryana got. From a sprouting talent to a voice unheard I believe in giving opportunities and that I believe makes a leader of par excellence.

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