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सयुक्त किसान मोर्चा में पड़ी दरार, क्या इसका सीधा फायदा उठाएगी BJP?

जैसा की आप सभी को पता ही है कि, अभी कुछ समय पहले ही किसान आंदोलन खत्म हुआ था और किसान अपने घर वापस लौटे थे। उस दौरान यह तय किया गया था कि वह राजनीति चुनावों से दूर रहेंगे। लेकिन अभी इस चुनाव की राजनीतिक माहौल में किसान मोर्चा के वरिष्ठ नेताओं के अंदर मतभेद दिखाई दे रहे हैं।

किसान मोर्चा ने जो रणनीति तय की थी उसके प्रमुख मुद्दे को लेकर फिलहाल वह दो तरफ नजर आ रहे हैं। आपको बता रहे शनिवार बॉर्डर पर सिंधु बॉर्डर जो कि सांसदों की बैठक हुई बैठक होने वाली थी,  उसे पहले शुक्रवार को को नई दिल्ली में 9 सदस्य कोर कमेटी ने तय किया था कि, किसान मोर्चा चुनावी राजनीति से दूर रहेगा।

इन सबके बाद भी सिंधु बॉर्डर की बैठक के बाद किसान नेता राकेश टिकैत ने लखीमपुर खीरी के मामले में संतोषजनक कार्रवाई नहीं होने पर 1 फरवरी से मिशन उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड शुरू करने का ऐलान कर दिया।

राकेश टिकैत ने यह भी कहा कि वह 31 जनवरी को जिला स्तर पर ट्रैक्टर और धरणो के बाद भी यदि केंद्रीय राज्य मंत्री अजय टोनी को बर्खास्त नहीं किया गया तो वह लखीमपुर खीरी में पक्का मोर्चा लगा देंगे।

अब राकेश टिकैत ने यह बयान दिया तो किसान मोर्चा की कोर कमेटी के तीन सदस्य काफी हैरान हुए। शुक्रवार को कमेटी की बैठक में राकेश टिकैत ने ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं रखता था नहीं था। अब इन नेताओं का इस कहना है कि वह इस बात को अगली कोर कमेटी में बैठने रखेंगे।

आपको बता दें 14 जनवरी को हुई कोर कमेटी की बैठक में किसान नेता शिवकुमार कक्काजी, दर्शनपाल और जगजीत सिंह दल्लेवाल ने अपने मनमाने ढंग से बोला और इसको खोलने में सफल भी रहे। यह नेता चाहते हैं कि संयुक्त किसान मोर्चा के आंदोलन की शुद्धता को बनाए रखा जाए।

आपको बता दे, जो नेता चुनाव लड़ रहे है उनसे दूर रहा जाए। उस समय किसान नेता हन्नान मुल्ला ने भी बैठक में प्रस्ताव दिया था कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में मोर्चा भाजपा का विरोध करे।

आपको बता दे, योगेंद्र यादव भी हन्नान मुल्ला के इस प्रस्ताव के साथ नही थे। शुक्रवार की बैठक में हरियाणा के किसान नेता गुरनाम सिंह चादुनी और पंजाब के बलबीर सिंह राजेवाल मौजूद नहीं थे।

इस कोर कमेटी में उनके प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। शुक्रवार को कोर कमेटी की बैठक में तय हुआ कि शनिवार को सिंघू सीमा की बैठक के बाद स्पष्ट किया जाएगा कि मोर्चा चुनावी राजनीति से दूर रहेगा।

Kunal Bhati

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